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जॉब ट्रेनी पॉलिसी के खिलाफ युवाओं का फूटा गुस्सा

➤ प्रदेश सरकार की जॉब ट्रेनी पॉलिसी के खिलाफ युवाओं का विरोध तेज
➤ धर्मशाला में सैकड़ों पढ़े-लिखे युवा पहुंचे डीसी ऑफिस, बताया नीति को अन्यायपूर्ण
➤ युवाओं ने दी चेतावनी – पॉलिसी वापस नहीं हुई तो शिमला में सचिवालय का होगा घेराव



हिमाचल प्रदेश सरकार की नई “जॉब ट्रेनी पॉलिसी” के खिलाफ प्रदेश का शिक्षित युवा वर्ग मुखर हो गया है। धर्मशाला में शनिवार को बड़ी संख्या में डिग्रीधारी युवाओं ने डीसी ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। इन युवाओं का आरोप है कि यह नीति शोषणपूर्ण, अव्यवहारिक और शिक्षित युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।

धर्मशाला जिला पुस्तकालय के छात्र हरीश कुमार ने कहा कि पॉलिसी के तहत शिक्षक की स्थाई नियुक्ति 2 साल की ट्रेनिंग और दोबारा मूल्यांकन के बाद ही होगी, जो पूरी तरह अनुचित और अपमानजनक है। उन्होंने कहा कि योग्यता और प्रतियोगी परीक्षाएं पास करने के बाद भी सरकार परिक्षण की नीति थोप रही है, जो शिक्षा व्यवस्था और युवाओं के आत्मसम्मान दोनों के खिलाफ है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह नीति वापस नहीं ली तो जल्द ही ‘चलो शिमला’ आंदोलन शुरू होगा और सचिवालय का घेराव किया जाएगा

अन्य छात्र जितेंद्र सिंह ने भी सरकार की इस नीति को गरीब छात्रों के साथ अन्याय बताया। उन्होंने कहा कि यह पॉलिसी मेहनतकश युवाओं के भविष्य को असुरक्षित बनाती हैजितेंद्र ने बताया कि हजारों युवा वर्षों की पढ़ाई, परीक्षाएं और संघर्ष के बाद शिक्षक बनते हैं, लेकिन अब उन्हें दो साल तक अस्थाई रख कर फिर से योग्यता साबित करने के लिए कहा जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सरकार की अन्यायपूर्ण मानसिकता को दर्शाता है और युवा इसे बिलकुल बर्दाश्त नहीं करेंगे

युवाओं का स्पष्ट कहना है कि यदि सरकार ने पॉलिसी को लिखित तौर पर वापस नहीं लिया तो यह आंदोलन और तेज होगा। प्रदेश भर से युवा शिमला का रुख करेंगे और विधानसभा व सचिवालय के बाहर प्रदर्शन करेंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार की होगी